कवर्धा, 6 सितंबर 2025: छत्तीसगढ़ के कवर्धा शहर में शुक्रवार, 5 सितंबर को ईद-ए-मिलाद-उन-नबी का पर्व पूरे हर्षोल्लास और अकीदत के साथ मनाया गया। इस्लाम के अखरी पैगंबर हजरत मोहम्मद मुस्तफा नबी ए करीम की पैदाइश के अवसर पर शहर में खुशी और मुस्लिम एकजुटता का माहौल देखने को मिला। मस्जिदों और गलियों को रंग-बिरंगी रोशनी, झंडियों और फूलों से सजाया गया, और जुलूस-ए-मोहम्मदी में हजारों मुस्लिम समुदाय के लोग उत्साह के साथ शामिल हुए। यह पर्व न केवल कवर्धा में, बल्कि पूरी दुनिया में मुस्लिम समुदाय द्वारा जोश और एकजुटता के साथ मनाया गया।
कवर्धा में उत्सव का माहौल
शहर के मुस्लिम बाहुल्य इलाकों में सुबह से ही रौनक छाई रही। पुरानी बस्ती, और बड़ी मस्जिद के आसपास के क्षेत्रों में जुलूस-ए-मोहम्मदी निकाला गया, जिसमें बच्चे, युवा और बुजुर्ग सभी ने एकजुट होकर हिस्सा लिया। जुलूस में हरे झंडे और धार्मिक निशानियां लहराई गईं, जबकि नात-ए-पाक और दरूद-ए-शरीफ की गूंज से वातावरण नूरानी हो उठा। डीजे की मधुर धुनों और नबी करीम की शान में पढ़े गए नातिया कलाम ने सभी के दिलों को छू लिया।
मस्जिदों में विशेष जलसों और जुलूस का आयोजन हुआ, जहां उलेमा और इस्लामिक विद्वानों ने हजरत मोहम्मद मुस्तफा नबी ए करीम (PBUH) की जीवनी और उनकी शिक्षाओं पर प्रकाश डाला। इस्लामिक विद्वानों ने अपने तकरीर में कहा, "ईद-ए-मिलाद-उन-नबी हमें नबी ए करीम की सीरत को अपनाने और उनकी शिक्षाओं पर चलने की प्रेरणा देता है। उनकी शिक्षाएं सच्चाई, न्याय, इंसाफ और इंसानियत का मार्ग दिखाती हैं।"
जुलूस के दौरान स्थानीय लोगों ने शर्बत, मिठाइयां और खाने-पीने की चीजें बांटीं। जुलूस पूर्ण व्यवस्थित रहा, साथ ही पुलिस बल ने यातायात और भीड़ प्रबंधन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
वैश्विक स्तर पर मुस्लिम एकता का प्रदर्शन
ईद-ए-मिलाद-उन-नबी का उत्साह कवर्धा तक सीमित नहीं रहा, बल्कि यह पर्व विश्व भर में मुस्लिम समुदाय द्वारा खुशी और एकजुटता के साथ मनाया गया। भारत के दिल्ली, लखनऊ, जयपुर, मुंबई, सिवान और अन्य शहरों व गांव में भी जुलूस निकाले गए और मस्जिदों को सजाया गया। इस मौके पर कई शहरों में हजरत मोहम्मद मुस्तफा नबी ए करीम (स.अ.व.) की निशानियों की जियारत के लिए भारी भीड़ उमड़ी। महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, और झारखंड व अन्य राज्यों में भी इस पर्व को उत्साह के साथ मनाया गया।
इसी के साथ पूरी दुनिया भर के अन्य मुल्कों में भी इस दिन विशेष आयोजन हुए। मक्का शरीफ और मदीना शरीफ में खास इबादतों और जलसों का आयोजन किया गया, जहां लाखों लोग पैगंबर मुहम्मद मुस्तफा नबी ए करीम की शिक्षाओं को याद करने के लिए एकत्र हुए।
खुशी और एकता का संदेश
ईद-ए-मिलाद-उन-नबी का असली मकसद पैगंबर हजरत मोहम्मद मुस्तफा नबी ए करीम (PBUH) की शिक्षाओं को जीवन में उतारना है।
जरूरतमंदों की मदद और दान
इस मुबारक दिन कई स्थानों पर गरीबों और जरूरतमंदों को खाना, कपड़े और अन्य सामग्री बांटी गई। मस्जिदों के बाहर खैरात किया गया, जिसमें बच्चों और बुजुर्गों ने हिस्सा लिया। यह परंपरा पैगंबर मोहम्मद मुस्तफा नबी ए करीम की शिक्षाओं का हिस्सा है, जो उदारता और दूसरों की मदद करने पर जोर देती हैं।
आगे की राह
ईद-ए-मिलाद-उन-नबी का यह पर्व कवर्धा और विश्व भर में मुस्लिम समुदाय की एकजुटता और खुशी का प्रतीक रहा।
इस खास मौके पर सभी को ईद-ए-मिलाद-उन-नबी की ढेर सारी मुबारकबाद!
नूर आया, नूर चढ़ा, रोशनी हुई हर जगह, ईद-ए-मिलाद-उन-नबी लाया खुशियों की बहार।