दिनांक 10.10.2025 को छत्तीसगढ़ राज्य रजत जयंती समारोह अंतर्गत सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पंडरिया में bmo डॉ राकेश कुमार जी द्वारा विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस पर
मानसिक स्वास्थ्य की गंभीरता व हमारे जीवन में इसके महत्व के संबंध में जानकारी प्रदाय की गई
बैठक में विशेष रूप से मानसिक स्वास्थ्य को परखने वाले गतिविधियां bmo जी द्वारा वहां उपस्थिति सभी लोगों को कराई गई
विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस (World Mental Health Day) के अवसर पर खंड चिकित्सा अधिकारी डॉ. राकेश कुमार द्वारा मानसिक स्वास्थ्य एवं भावनात्मक संतुलन पर एक सारगर्भित कार्यशाला आयोजित की गई। कार्यशाला में प्रतिभागियों ने बड़ी उत्सुकता के साथ भाग लिया।
कार्यशाला में तनाव प्रबंधन, मानसिक संतुलन, आत्म-जागरूकता, और सहायता-संवाद जैसे विषयों पर व्यावहारिक गतिविधियाँ एवं समूह चर्चा आयोजित की गईं। प्रतिभागियों को दैनिक जीवन में मानसिक स्वास्थ्य बनाए रखने के व्यावहारिक उपायों की जानकारी दी गई तथा मानसिक समस्याओं के प्रति खुलकर बात करने के लिए प्रोत्साहित किया गया।
कार्यशाला में प्रमुखता मानसिक स्वास्थ्य के संबंध में निम्न बिंदुओं का विस्तृत तौर पर संदेश दिया गया :-
1. 🧠 मानसिक स्वास्थ्य समग्र स्वास्थ्य का आधार है।
यह हमारे विचारों, भावनाओं और व्यवहार पर सीधा प्रभाव डालता है। स्वस्थ मन से ही जीवन में संतुलन और सफलता संभव है।
2. 💬 मानसिक स्वास्थ्य पर खुलकर बात करना आवश्यक है।
मानसिक स्वास्थ्य पर चर्चा करने से समाज में जागरूकता बढ़ती है और कलंक (stigma) कम होता है।
3. ⚖️ आत्म-देखभाल (Self-Care) की आदत डालें।
नियमित नींद, संतुलित भोजन, व्यायाम और अपने लिए समय निकालना मानसिक स्वास्थ्य का मूल है।
4. 🤝 सहयोगी संबंध बनाए रखें।
परिवार और मित्रों से जुड़ाव भावनात्मक मजबूती देता है। ज़रूरत पड़ने पर मदद माँगने से न हिचकें।
5. 🧩 तनाव प्रबंधन एक कला है।
ध्यान (Mindfulness), योग, गहरी साँसें लेना और सकारात्मक सोच जैसे उपाय तनाव को कम करते हैं।
6. 🌞 स्वस्थ जीवनशैली अपनाएँ।
शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य एक-दूसरे से जुड़े हैं — अच्छा आहार, नींद और प्रकृति के संपर्क से मानसिक स्थिति बेहतर रहती है।
7. 💡 पेशेवर मदद लेना सामान्य और आवश्यक है।
मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ से परामर्श लेने में कोई झिझक नहीं होनी चाहिए। सही समय पर सहायता लेने से मानसिक स्वास्थ्य में उल्लेखनीय सुधार होता है।
8. 🌈 सहानुभूति और करुणा स्वस्थ समाज की नींव हैं।
“मानसिक रूप से स्वस्थ समाज वही है जहाँ लोग एक-दूसरे की भावनाओं को समझें और सहयोग करें।”
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